सोमवार, 8 फ़रवरी 2016

दिन पहला

हैलो फ्रैंड्स,
       आज मेरा इस ब्लॉग पर पहला दिन है। इसीलिए मुझे समझ मे नहीं आ रहा है । इससे पहले मैंने कभी ब्लॉग या फिर अपनी कुछ पर्सनल डायरी भी नहीं लिखी है । मेरे पति की ये दिली तमन्ना थी की मैं भी कभी ब्लॉग पर कुछ लिखूँ पर मैं हर बार मना कर रही थी कि मैं क्या लिखूँ, मैं उनकी तरह सोच ही नहीं पाती, पर फिर भी कोशिश करूंगी कि अपने बारे मे या अपने से जुड़ीं बातें आपसे भी शेयर करूँ इसीलिए मैंने इस ब्लॉग का नाम भी 'हमारी तुम्हारी बातें' रखा है।

फ़िर यह ज़रूरी भी तो नहीं कि हम सबसे पहले अपने बारे में बताते हुए शुरू करें। ज़रूरी है, बातों का होना। एक सिलसिला बनता जाएगा और हम जब उन बातों के जरिये इस दुनिया में पहचाने जाने लायक हो जाएंगे, तब शायद इस सवाल की ज़रूरत भी महसूस न हो। ज़रूरत का होना हमें नहीं बनाता,हमें हम खुद बनाते हैं.. आगे क्या कहूँ समझ नहीं पा रही। जितना पढ़ लिख लेती हूँ उससे जादा कहीं अब सोचने में वक़्त बीत जाता है।

मैं सच कहूँ तो अपने बारे में किसी तरह कि ऐसी बात नहीं बताना चाहती जिससे आपके मन में एक छवि पहले से बन जाये और मेरी पूरी ताकत फ़िर से गढ़ने या तोड़ने में लग जाये। ख़ैर अब चलती हूँ। जल्दी मिलेंगे। यहीं। इसी पते पर। अब जा रही हूँ, पहले थोड़ा इस जाती ठंड में छत पर घुमूंगी। फ़िर सो जाऊँगी।

- हिमांशी शचीन्द्र आर्य

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