नशाखोरी हमारे समाज की सबसे जटिल बीमारी है, जिसे देखो वह नशे मे लिप्त है। फिर चाहे वो वो अमीर हो या गरीब। फरक बस इतना है की गरीब सस्ता नशा करता है और अमीर महँगा नशा। हमारे समाज मे ज़्यादातर बीमारियाँ नशा करने की वजह से होती है। लोग ये सोचते है की हम जितना महंगा नशा करेंगे, हमारी पोजीशन समाज मे उतनी ही बढ़ेगी। पर उन्हे कोई कैसे समझाये की महंगा नशा करने से समाज मे हमारी पोजीशन नहीं बल्कि बीमारियाँ बढ़ रही है। आए दिन नयी नयी बीमारियों के नाम सुनने को मिलते हैं, उसका सिर्फ और सिर्फ एक ही कारण है, हमारे देश मे बढ़ती नाशखोरी ।
गाँवों मे अधिकतर घरों मे चाहे उनकी माली हालत ठीक ना हो, घर मे पेट भरने को पैसे ना हो लेकिन वो नशा करने के लिए पैसों की व्यवस्था कहीं-न-कहीं से कर ही लेते हैं। फिर चाहे उन्हे अपने घर के गहने बेचने पड़ें या फिर जमीन। पर वो करें भी तो क्या करें? क्योंकि उनको उस चीज की लत जो लग गयी है। वो चाह कर भी इन सब से नहीं निकल पाते है क्योंकि कहते हैं न की अच्छी आदतें जितनी आसानी से लग जाती हैं, बुरी आदतों को छोडना उतना ही मुश्किल होता है।
सरकार बाकी चीजों के लिए तो पहल करती है पर हमारे समाज मे नाशखोरी जैसी भयानक बीमारी के लिए कोई सजग कदम नहीं उठा पा रही है। एक तरफ तो सरकार नशीली चीजों पर रोक लगा रही है और दूसरी तरफ उन्ही के सरकारी अड्डे खुलवाती है। इसका मतलब क्या ये है कि जो लोग अपनी दुकाने खोल कर बैठे हैं, केवल उन्ही की दुकाने बंद करवाने से समाज मे बीमारी कम हो जाएगी और जो लोग सरकारी लाइसेन्स लेकर दुकाने चलाते हैं, उनकी नशीली चीजों मे रोगप्रतिरोधक क्षमता होती है। आए दिन छोटी-छोटी दुकानों मे छापेमारी कर के बाजार से पुलिस सैंपल लेकर उनपर जुर्माना या केस कर देगी तो क्या नशाखोरी बंद हो जाएगी? ऐसा नहीं है। एक तरफ ये दुकानों से नशीली चीजों का सैंपल लेकर उनसे जुर्माना लेते है और दूसरी तरफ इन चीजों के उत्पादनकर्ताओ से भी टैक्स लेते हैं। ये कैसे सही है? क्या इस तरह से हमारे देश मे नशाखोरी ख़त्म होगी ?
सरकार को इन चीजों को खत्म उन जगहों से करना चाहिए जहाँ पर इन चीजों का निर्माण होता है। तभी हमारे देश मे नशाखोरी कुछ हद तक कम हो सकती है। क्योकि अगर इन चीजों का उत्पादन ही नहीं होगा तो बिक्री नहीं होगी। और अगर बिक्री नहीं होगी तो लोग चाह कर भी इसका सेवन नहीं कर सकेंगे। इस तरह सरकार को छोटे दूकानदारों की दुकानों से सेंपल उठाने की जगह, उन जगहों से संपले लेना चाहिए, जहाँ से इनकी शुरुवात होती है। क्योंकि कहते है न की अगर बीज ही नहीं होगा तो पेड़ कैसे उगेंगे। उसी तरह अगर हमारे देश में नशीली चीजें ही नहीं होंगी तो लोग नशा कैसे करेंगे। जिस तरह से मैगी मे सीसा(लेड) होने की आशंका से मैगी पर बैन कर दिया गया था, उसी तरह हमारे देश से नशीली चीजों की हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी चीजों को प्रतिबंधित कर देना चाहिए। तभी हमारे देश की स्थिती कुछ हद तक सुधर सकती है। इस तरह हमारे देश मे न तो नशीली चीजें होंगी और न ही नशाखोरी और बीमारियाँ तो हमारे आस पास भी नहीं आ पाएँगी।
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