जल ही जीवन है ये तो सब जानते हैं पर कोई मानता कोई नहीं है। या फिर ये कह सकते हैं कि कितने लोग जल को सहेज कर रखते हैं? पानी हमारे लिये ज़िंदगी है लेकिन फिर भी हम पानी को पानी की तरह बहा रहे हैं। मैं भी जब ऐसा कह रही हूँ तब मैं भी पानी की कीमत नहीं जान रही। उसे ऐसे ही पानी की तरह बर्बाद कर रही हूँ। फ़िर इसका मतलब तो यही है ना कि हम पानी नही बल्की हम अपनी ज़िंदगी को बरबाद कर रहे हैं। क्योंकि बिना पाने के जीवन संभव नहीं ही नहीं हो सकता है। सुबह से लेकर शाम तक हर छोटे-बङे काम के लिये हमें पानी की आवश्यकता होती है। पानी ही हमारे जीवन का पूरक है। लेकिन फिर भी आज के लोग पानी की कीमत नही समझते हैं। हमारे देश में बहुत-सी ऐसी जगह है, जहाँ पर लोग एक-एक बूँद पानी के लिए तरसते हैं। पानी के लिये वो स्त्रियाँ मीलों पैदल चलती हैं, घंटों लाइनों में लगी रहती हैं, तब जाकर उन्हें थोड़ा-सा पानी मिलता हैं, जिसकी उन्हें पूरी कीमत चुकानी पड़ती है। उनके इस दर्द भरी प्यास को हम समझ भी नही सकते हैं कि वो थोङे से पानी में अपना गुजारा कैसे करते हैं? शायद कई-कई दिनों तक ना तो वो नहाते होंगे और न ही वो कपड़े साफ-सुथरा पहन सकते हैं क्योकि उनके देश-उनके गाँव मे पानी की इतनी तंगी होती है की अगर वो चाहे भी भी तो उन्हें इतना पानी मिल ही नहीं सकता है कि वो अपनी ज़िंदगी मे पानी की कमी को पूरी कर अच्छे से गुजारा कर सकें।
लेकिन हमारे देश के जिन जगहों मे पानी पर्याप्त मात्रा में बिना किसी मोल के मिल रहा है। वहाँ के लोग पानी की कीमत को नहीं समझते हैं और वो बिना किसी रोक-टोक के पानी का व्यर्थ अपव्यय करते रहते हैं। क्योंकि उन्हें ये एहसास ही नहीं होता है कि जिस पानी को हम बिना कुछ सोचे-समझे पानी कि तरह बहाये जा रहें हैं अगर वही पानी एक दिन भी हमें नसीब न हो तो हमारी क्या हालत हो सकती है। हमारे देश मे जिन जगहों पर पानी की कोई तकलीफ नहीं है, वहाँ के लोगों के तो क्या कहने हैं? जहाँ एक ग्लास पानी मे काम बन सकता है, वहाँ वो एक बाल्टी पानी बहा देते हैं। और जहाँ उन्हें बाल्टी भर पानी की जरूरत होती है, वहाँ तो उन्हें खुद भी पता नहीं होता है कि उन्होने कितना पानी बर्बाद किया है? ये सिर्फ एक व्यक्ति नहीं बल्कि सौ में से नब्बे व्यक्ति होते होंगे, जो एक दिन में पता नहीं कितना पानी बिना किसी काम के ही बहा देते हैं। ठंड के मौसम मे लोग गरम पानी के लिए नल खुला छोड़ देते हैं कि ऊपर का पानी निकल जाएगा तो नीचे से गरम पानी आएगा और उसी से वो नहाते हैं क्योंकि ठंडें पानी से तो उन्हें ठंड लगेगी और अगर उन्हे कभी कोई रोके भी की आप इतना पानी क्यों बर्बाद कर रहे हैं? तो बदले में ये सुनने को मिलता है कि इतना पानी आ रहा तो है और क्या मेरे अकेले के पानी बचाने से पानी बच जाएगा जब बाकी सब इतना नुकसान करते हैं। क्या उन्हे इतना भी नहीं पता है कि बूंद-बूंद पानी से ही सागर भरता है और पहल तो किसी एक से ही होती है। वह आप भी हो सकते हैं और कल उसी नल के आगे इंतज़ार करते हुए रो भी सकते हैं।
पानी को बर्बाद करके सिर्फ हम हमारे देश के जलस्तर को तो घटा ही रहे हैं साथ ही साथ हमारे देश मे हमारे समाज मे हम बीमारियाँ भी बढ़ा रहें है। क्योंकि हम जिस पानी का उपयोग और अनुपयोग करते हैं वो पानी या तो किसी नाले या फिर किसी तालाब मे इकट्ठा होती हैं और नयी-नयी बीमारियों को जन्म देती हैं, जो हमारे लिए जानलेवा साबित होती हैं। इसीलिए मेरे प्यारे दोस्तों आपसे सिर्फ इतना ही कहूँगी की बिना वजह पानी का व्यर्थ अपव्यय मत करें और न ही किसी को करने दें क्योकि ऐसा न हो की जिस पानी की कीमत हम आज नहीं समझ पा रहे हैं, वही पानी हमें एक-एक बूंद के लिए तरसा दे और हमें अपने ज़िंदगी से हाथ धोना पड़े। अगर कहीं आप के सामने कोई पानी का नल खुला छोड़ रहा है या फिर बिना किसी वजह जरूरत से ज्यादा पानी खर्च कर रहा है तो आप उन्हें रोकें और ऐसा ना करने के लिए उन्हें समझाएँ क्योंकि अगर हम हमारी चीजों की रक्षा खुद नहीं करेंगे तो वो दिन दूर नहीं जब हम उस चीज के लिए बूंद-बूंद तरसेंगे। इसीलिए पानी को ना स्वयं बर्बाद करें और न ही दूसरों को करने दें।
लेकिन हमारे देश के जिन जगहों मे पानी पर्याप्त मात्रा में बिना किसी मोल के मिल रहा है। वहाँ के लोग पानी की कीमत को नहीं समझते हैं और वो बिना किसी रोक-टोक के पानी का व्यर्थ अपव्यय करते रहते हैं। क्योंकि उन्हें ये एहसास ही नहीं होता है कि जिस पानी को हम बिना कुछ सोचे-समझे पानी कि तरह बहाये जा रहें हैं अगर वही पानी एक दिन भी हमें नसीब न हो तो हमारी क्या हालत हो सकती है। हमारे देश मे जिन जगहों पर पानी की कोई तकलीफ नहीं है, वहाँ के लोगों के तो क्या कहने हैं? जहाँ एक ग्लास पानी मे काम बन सकता है, वहाँ वो एक बाल्टी पानी बहा देते हैं। और जहाँ उन्हें बाल्टी भर पानी की जरूरत होती है, वहाँ तो उन्हें खुद भी पता नहीं होता है कि उन्होने कितना पानी बर्बाद किया है? ये सिर्फ एक व्यक्ति नहीं बल्कि सौ में से नब्बे व्यक्ति होते होंगे, जो एक दिन में पता नहीं कितना पानी बिना किसी काम के ही बहा देते हैं। ठंड के मौसम मे लोग गरम पानी के लिए नल खुला छोड़ देते हैं कि ऊपर का पानी निकल जाएगा तो नीचे से गरम पानी आएगा और उसी से वो नहाते हैं क्योंकि ठंडें पानी से तो उन्हें ठंड लगेगी और अगर उन्हे कभी कोई रोके भी की आप इतना पानी क्यों बर्बाद कर रहे हैं? तो बदले में ये सुनने को मिलता है कि इतना पानी आ रहा तो है और क्या मेरे अकेले के पानी बचाने से पानी बच जाएगा जब बाकी सब इतना नुकसान करते हैं। क्या उन्हे इतना भी नहीं पता है कि बूंद-बूंद पानी से ही सागर भरता है और पहल तो किसी एक से ही होती है। वह आप भी हो सकते हैं और कल उसी नल के आगे इंतज़ार करते हुए रो भी सकते हैं।
पानी को बर्बाद करके सिर्फ हम हमारे देश के जलस्तर को तो घटा ही रहे हैं साथ ही साथ हमारे देश मे हमारे समाज मे हम बीमारियाँ भी बढ़ा रहें है। क्योंकि हम जिस पानी का उपयोग और अनुपयोग करते हैं वो पानी या तो किसी नाले या फिर किसी तालाब मे इकट्ठा होती हैं और नयी-नयी बीमारियों को जन्म देती हैं, जो हमारे लिए जानलेवा साबित होती हैं। इसीलिए मेरे प्यारे दोस्तों आपसे सिर्फ इतना ही कहूँगी की बिना वजह पानी का व्यर्थ अपव्यय मत करें और न ही किसी को करने दें क्योकि ऐसा न हो की जिस पानी की कीमत हम आज नहीं समझ पा रहे हैं, वही पानी हमें एक-एक बूंद के लिए तरसा दे और हमें अपने ज़िंदगी से हाथ धोना पड़े। अगर कहीं आप के सामने कोई पानी का नल खुला छोड़ रहा है या फिर बिना किसी वजह जरूरत से ज्यादा पानी खर्च कर रहा है तो आप उन्हें रोकें और ऐसा ना करने के लिए उन्हें समझाएँ क्योंकि अगर हम हमारी चीजों की रक्षा खुद नहीं करेंगे तो वो दिन दूर नहीं जब हम उस चीज के लिए बूंद-बूंद तरसेंगे। इसीलिए पानी को ना स्वयं बर्बाद करें और न ही दूसरों को करने दें।
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